बॉडी शेमिंग हमारे समाज में सदियों से चली आ रही एक ऐसी प्रथा है, जिसका अंत कब होगा पता नहीं, हैरानी की बात तो यह है कि बॉडी शेमिंग की शुरुआत हमारे खुद के घर से ही होती है और फिर स्कूल, कॉलेज और वर्कप्लेस तक इसका दायरा बढ़ते जाता है। और अब तो सोशल मीडिया भी इससे अछूता नहीं रहा।
आज जब सोशल मीडिया इतना पावरफुल टूल बन चुका है वहां भी यह नेगेटिविटी तेजी से वायरस की तरह बढ़ते जा रहा है। आप अनंत अंबानी की शादी के किसी भी वीडियो का कमेंट देख लीजिए आपको वहां हजारों ऐसे कॉमेंट्स मिलेंगे जो बॉडी शेमिंग के नए ट्रेंड के उदाहरण हैं। यहीं नहीं हमारे यहां कमर्शियल्स, सोशल मीडिया मीमस और द कपील शर्मा शो जैसे रियलिटी शोज इस तरह की नेगेटिविटी को और बढ़ावा देते आ रहे हैं। जहां लड़कियों के बॉडी पार्ट्स पर कॉमेंट्स करके लोगों को एंटरटेन किया जाता है।
बॉडी शेमिंग हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में इतना आम हो गया है और लोग इसे इतना कैजुअल समझने लगे हैं जितना कि ये है भी नहीं। आजकल स्कूल और कॉलेजों में लोगों के शरीर के बनावट के आधार पर उनका नया नामकरण कर दिया जाता हैं। इन जगहों पर बॉडी शेमिंग भी उतना ही बड़ा अपराध है जितना बड़ा रैगिंग और इसके लिए भी सजा के प्रावधान होने चाहिए।
वैसे तो बॉडी शेमिंग किसी स्पेसिफिक जेंडर वन के लिए नहीं की जाती लेकिन लड़कियों पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है। और इसका वजह हमारा सोसाइटीअल सेटअप और मीडिया है। बॉडी शेमिंग इस देश की उन लाखों करोड़ों लड़कियों की कहानी है जो हर दिन इस नेगेटिव प्रतिक्रिया से मेंटल ट्रॉमा की शिकार बनती जाती हैं।
और इसकी शुरुआत मूलतः उनके अपने घर से होता है, बचपन से ही परिवार के लोग महिलाओं के रंग-रूप आकार के ढांचे पर जज करने लगते हैं। हां यह सच है कि हर बार बॉडी को लेकर कुछ बोलना बॉडी शेमिंग और निगेटिव नहीं होता कई बार पेरेंट्स का बच्चों के लिए चिंता और भय का विषय होता है, लेकिन अगर इसके लिए आपको शर्मिंदगी महसूस कराई जाती है तो यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर हावी हो सकता है।
इस बात को बदला नहीं जा सकता कि लड़कों की तुलना में लड़कियां अधिक बॉडी शेमिंग का शिकार बनती है। जब घर में एक लड़के का जन्म होता है और अगर सांवला हुआ तो गर्व से कहते हैं भगवान कृष्ण का रूप है फिर लड़कियों को मां काली कहने में शर्म क्यों?
मतलब जन्म से ही एक लड़की बॉडी शेमिंग का शिकार बन जाती है, आखिर ऐसा क्यों, क्यू सेम रंग होने के बाद भी लड़के और लड़की में इतना भेदभाव वो भी शारीरिक बनावट के आधार पर।
फिर यह सिलसिला जारी रहता है शादी समारोह में आए रिश्तेदारों द्वारा भी सावली हो लड़का मिलना मुस्किल है , मोटी हो वजन कम करो, पतली हो थोड़ा खाया पिया करो, छोटी हो लटका करो नही तो कोई पसंद नही करेगा। फिर एक लड़की को लोगो के इस खूबसूरती के गंदी परख का शिकार बनना पड़ता है।
आखिर कब तक यह समाज अपनी इस गन्दी परख से लड़कियों को नीचा दिखाता रहेगा। कब खत्म होगी भेदभाव की यह मानसिकता, कब छुटकारा मिलेगी एक लड़की को बॉडी शेमिंग की भद्दी टिप्पणी से।
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