police complaint later: क्या होता है पुलीस कंप्लेट लेटर, क्यों और कब पड़ती है इसकी जरुरत।

आपराधिक मामलों में अक्सर कंप्लेंट और एफआईआर जैसे शब्द सुनने को मिलते है। हालांकि बहुत लोग आज भी इनके बीच के अंतर को समझ नहीं पाते और कन्फ्यूज रहते हैं। जबकि ये दोनों एक दूसरे से अलग है। आज हम समझेंगे क्या होता है पुलिस कंप्लेंट लेटर।

बहुचर्चीत श्रद्धा हत्याकांड में एक खुलासा हुआ था कि श्रद्धा ने 2020 में ही पालघऱ पुलीस को अफताब के खिलाफ एक कंप्लेट लेटर लिखा था, जिसमें उसने अफताब के बिहेवियर का जिक्र किया था। एसे ही सुशांत सिंह राजपुत वाले केश में भी कहा गया था कि 25 फरवरी 2020 को ही एक्टर के पिता ने महाराष्ट्र पुलीस को एक कंप्लेट लेटर लिखा था, जिसमें उन्होने सुशांत के जान को खतरा बताया था।

आज हम जानेंगे क्या होता है ये पुलिस कंप्लेट लेटर इन्हे क्यों और कब लिखने की जरुरत पड़ती है।
तो सबसे पहले हम समझते है कि इसकी जरुररत क्यों पड़ती है?

दरअसल जब भी हम किसी बात का शिकायत पुलिस अधिकारी या स्थानीय नगर के थाना प्रभारी से करना चाहते है तब हमें एक कंप्लेट लेटर लिखने की जरुरत पड़ती है। क्योंकी लिखीत में दी गई जाकारी या शिकायती पत्र की वैल्यु ज्यादा और इफेक्टीव होती है।

कंप्लेट लेटर को र्सिफ जान का खतरा होने पर ही नहीं ब्लकी और भी घटना होने के डर जैसे किसी के धमकी भरे कॅल, मैसेज, लेटर, प्रॅपटी पर खतरा का डर, चोरी का डर, या क्रायस्थल पर आस्वस्थ होने का डर, कोई स्टाक करे या गलत तरीके से देखे तब भी पुलिस कंप्लेट लेटर लिखा जा सकता है।

ये कंप्लेट लेटर किसी भी मुद्धे या सबजेक्ट में हमारी हेल्प करती है पुलिस तक पहुचने में। और यह कंप्लेट लेटर ही एकमात्र ठोस सबुत होता है आपके शिकायत का जो पुलिस और आपके पास मौजुद होता है। किसी भी कंप्लेट लेटर की लीगल वैल्यु तब तक नहीं मानी जाती जब तक की उसकी डीडी एंट्री यानी की डेली डायरी एंट्री होती।

पुलिस के पास एक डायरी होती है जिसमें हर FIR और शिकायत की एंट्री की जाती है। जब आप पुलिस को कंप्लेट लेटर देते है तो बदले में पुलिस आपको एक रिसिविंग देती है। इस रिसिविंग में डायरी का एंट्री नम्बर लिखा रहता है और यही नम्बर आपके कंप्लेट लेटर की लीगल वैल्यु होती है। इस रिसिविंग के साथ-साथ आपके केस के लिये एक इंक्वायरी आफीसर नियुक्त किया जाता है। आप चाहे तो इससे बात कर अपने शिकायत का follow up ले सकते है, या फिर RTI लगाकर जानकारी हासील कर सकते है।

अगर कंप्लेट लेटर देने के बाद भी पुलिस एक्शन नही लेती है तो आप डाइरेक्ट DCP को लेटर की रिसिविंग दिखाकर दोबारा कंप्लेट कर सकते है। और अगर इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया जाये तो CRPC की धारा 156(3) के तहत आप अपने लोकल मजिस्ट्रेट को लिखित शिकायत कर सकते है। जिसके बाद आपका केस सिधा पुलिस स्टेशन से कोर्ट चला जायेगा।

अगर आप अपना शिकायत वापस लेकर केस क्लोस्ड करवाना चाहते है तो आपको इसकी लिखित जानकारी पुलिस को देनी होती है। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो केस चलता रहेगा। ऐसा तब होता है जब पुलिस के एक्शन लेने के बाद आरोपी पकड़ा जाये या आपके और आरोपी के बिच सुलह हो जाये।

अब समझते है कंप्लेट लेटर लिखने का तरीका क्या होता है?, तो सबसे पहले आपको अपना पता यानी की एड्रेस साफ-साफ लिखना होता है। उसके बाद पहले पैराग्राफ में ही कंप्लेट लेटर लिखने का उद्शेय बताना होता है। लेटर लिखने का सब्जेक्ट साफ और अंडरलाइन होना चाहीये। इनफार्मल ग्रीटिंग्स का इस्तेमाल नहीं होता है। मेन पैराग्राफ में घटना, समस्या, और मुद्धे का विवरण होता है। लास्ट पैराग्राफ में आप करवाई या आपकी जो मांग है उसकी जानकारी दे सकते है।

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